भारत एक "लीक प्रधान" देश है।

भारत एक लीक प्रधान देश है। यहां सब कुछ लीक हो सकता है। लीक होना यहां की आत्मा में है। जैसे एक डैम से लेकर छोटी टंकी, सब लीक होता है। हमारे पेपरों से लेकर हर बात लीक होती है। देश के ईमानदार पत्रकार प्रधानमंत्री से इंटरव्यू के लिए कड़े सवाल तैयार करते हैं, पर वे भी लीक होकर पहले ही प्रधानमंत्री के पास पहुंच जाते हैं।


घरों में सिलेंडर लीक, हॉस्टल में कूलर लीक, उच्च स्तरीय नेताओं की निम्न स्तरीय वीडियो लीक, और छात्रवृत्ति के पैसे से हो रहे प्रतिभोज में डिस्पोजेबल लीक। बारिश आते ही गरीब के घर की छत लीक होती है, गर्मी आते ही अमीर की एसी लीक होने लगती है। बैंगलोर और गुड़गांव वालों को भी पता है कि उधर क्या लीक हो रहा है। किसको क्या पता था कि जब देश की औरतें जीन्स पहनने की आज़ादी पाएंगी तो यह हुकूमत इस लायक भी रहने देगी कि उनकी जेब भी ईएमआई से लीक न हो जाएगी। दरबारियों की मानें तो इस देश की सभ्यता भी लीक होती रही है। जहां पश्चिम ने बीस-तीस साल पहले इंटरनेट बनाया, वो आईडिया भी हमारे महाभारत से लीक हुआ है। 

दरअसल, जब कभी भी पश्चिम में कोई अविष्कार होता है, हमारे दरबारी इसी बात पर जोर लगाते हैं कि "अरे, ये तो हमारे देश में पहले से था।" अब हैरतअंगेज बात यो ये है कि न तो हम महाभारत में लीक होने से बच पाए, ना ही हम बचा पाए NTA काल में। धर्मेंद्र प्रधान को इस लीक प्रधान राष्ट्र का गौरवशाली इतिहास भलीभांति पता है इसीलिए वो बात बात पर पलट कर नीतीशबाज़ी कर रहे है।

जब लीक होना इतना बड़ा डिस्कोर्स है तो हम एक लीक मंत्रालय क्यों नहीं बना देते? तीन मंत्री, 15 ठु IAS। एक भवन - लीक भवन। एक संघ लीक सेवा आयोग। वही सब हैंडल करेंगे। लीक माता का मंदिर भी होगा, वहीं होगा। जग्गू को मुख्य पुजारी ही बना देना। लीक होना ही तो आज सबसे बड़ा धर्म है क्योंकि वही है जो हम सबको जोड़ रहा है। 

अब इसमें एक अच्छा इलाज कुछ लोगों ने ढूंढा था कि लीकपना रुक जाए, बहुत सृजनात्मक। सुना ही होगा कि "फलाने दफ्तर की गोपनीय फाइलों वाले कमरे में लगी आग"। है ना गजब। न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी। यहीं पाक-साफ सिद्धांत होता है कई जगह। 1996 में पंजाब में अस्सिटेंट प्रोफेसर की भर्ती हुई थी, इसके बाद हुई 2021 में। इन दौरान पेपर लीक होने का सवाल ही नहीं क्योंकि पेपर ही नहीं हुआ। क्या ये लोग नेट का पेपर हर 6 महीने पर करवा लेते है? 

वैसे ही छोटे से बड़ा हर पेपर लीक होता है। जिस पेपर में सुरक्षा के ज्यादा प्रबंध हो, समझो उसके लीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा है। क्यों? क्योंकि वे लोग चाहेंगे कि हमारे अलावा कोई लीक न कर सके, कोई और नकल न कर सके। 

यहीं बहुत जगहों के हाल हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी किसी भी हालत में लोगों की योग्यता तो नहीं टेस्ट कर रही है। यह टेस्ट कर रही है लोगों का पेशेंस, धैर्य। और विश्वगुरु मान चुके भक्तजनों का टेस्ट कर रही है IQ लेवल। कहीं बढ़ा तो नहीं ना। 2024 चुनाव परिणामों के रूप में जो ताजा रिपोर्ट आई है, वो यही बताती है कि अभी भी प्रचंड बहुमत से मूर्खता कायम है। मूर्खता 3.0। अब नफरत और गुंडई के लीक होने की संभावना अभी भी बरकरार है। 

खैर, परमात्मा द्वारा भेजे गए महापुरुष को बहुत शौक है ना परीक्षा पे चर्चा करने का। तो आइए किसी चौराहे या ढाबे पर। हम भी चाहते हैं कि अच्छे से चर्चा करें। डरिए मत, आपका पजामा लीक हो इससे पहले ही हम आपको छोड़ देंगे।

अगर ओलंपिक में एक नया खेल भी शामिल कर दे "लीक-बाज़ी" और इसमें वो शामिल होंगे जो सबसे तेज और सबसे सटीक लीक कर सकते हैं। तो सिंगल्स, डबल्स, मिक्स सब मे अपने विश्वगुरु का स्वर्ण पदक पक्का है। क्योंकि कुल मिलाकर, लीक ही तो हमारी राष्ट्रीय पहचान है। चाहे सरकारी नीतियां हों या परीक्षा के प्रश्नपत्र, सब लीक हो रहे हैं। अब हमें इस कला को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर देना चाहिए। तभी तो हमारा देश सही मायनों में 'लीक प्रधान' कहलाएगा।

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